*अफस्पा (AFSPA) क्या है?*
सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 1958 (AFSPA), उत्तर भारत में वर्ष 1990 से लगातार जारी है. इसे असम में नवम्बर 1990 में हिंसक गतिविधियों के चलते लागू किया गया था जो अभी तक जारी है. अफस्पा दरअसल एक विशेषाधिकार कानून है जिसके तहत सुरक्षा बलों को उस क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए विशेष तौर पर तैनात किया जाता है.
• अफ्सपा कानून के तहत सेना के जवानों को किसी भी व्यक्ति की तलाशी केवल संदेह के आधार पर लेने का अधिकार प्राप्त है.
• गिरफ्तारी के दौरान सेना के जवान उस व्यक्ति के घर में घुस कर संदेह के आधार पर तलाशी ले सकते हैं.
• सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्त है.
• संविधान लागू किये जाने के बाद से ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रहे अलगाववाद, हिंसा और विदेशी आक्रमणों से प्रतिरक्षा के लिए मणिपुर और असम में वर्ष 1958 में अफस्पा लागू किया गया था.
• मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस क़ानून से प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
• इस कानून का विरोध करने वालों में मणिपुर की कार्यकर्ता इरोम शर्मिला का नाम प्रमुख है, जो इस कानून के खिलाफ 16 वर्षों से उपवास पर थी.
*अफस्पा कब लागू किया जाता है?*
विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के कारण राज्य या केंद्र सरकार एक क्षेत्र को “अशांत” घोषित कर सकती हैं. राज्य या केंद्र सरकार के पास किसी भी भारतीय क्षेत्र को “अशांत” घोषित करने का अधिकार है. अफस्पा अधिनियम की धारा (3) के तहत, राज्य सरकार की राय का होना जरुरी है कि क्या एक क्षेत्र अशांत है या नहीं. यदि ऐसा नहीं है तो राज्यपाल या केंद्र द्वारा इसे खारिज किया जा सकता है. (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार अशांत क्षेत्र घोषित होने के बाद कम से कम 3 महीने तक वहाँ पर स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है.
सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 1958 (AFSPA), उत्तर भारत में वर्ष 1990 से लगातार जारी है. इसे असम में नवम्बर 1990 में हिंसक गतिविधियों के चलते लागू किया गया था जो अभी तक जारी है. अफस्पा दरअसल एक विशेषाधिकार कानून है जिसके तहत सुरक्षा बलों को उस क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए विशेष तौर पर तैनात किया जाता है.
• अफ्सपा कानून के तहत सेना के जवानों को किसी भी व्यक्ति की तलाशी केवल संदेह के आधार पर लेने का अधिकार प्राप्त है.
• गिरफ्तारी के दौरान सेना के जवान उस व्यक्ति के घर में घुस कर संदेह के आधार पर तलाशी ले सकते हैं.
• सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्त है.
• संविधान लागू किये जाने के बाद से ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रहे अलगाववाद, हिंसा और विदेशी आक्रमणों से प्रतिरक्षा के लिए मणिपुर और असम में वर्ष 1958 में अफस्पा लागू किया गया था.
• मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस क़ानून से प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
• इस कानून का विरोध करने वालों में मणिपुर की कार्यकर्ता इरोम शर्मिला का नाम प्रमुख है, जो इस कानून के खिलाफ 16 वर्षों से उपवास पर थी.
*अफस्पा कब लागू किया जाता है?*
विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के कारण राज्य या केंद्र सरकार एक क्षेत्र को “अशांत” घोषित कर सकती हैं. राज्य या केंद्र सरकार के पास किसी भी भारतीय क्षेत्र को “अशांत” घोषित करने का अधिकार है. अफस्पा अधिनियम की धारा (3) के तहत, राज्य सरकार की राय का होना जरुरी है कि क्या एक क्षेत्र अशांत है या नहीं. यदि ऐसा नहीं है तो राज्यपाल या केंद्र द्वारा इसे खारिज किया जा सकता है. (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार अशांत क्षेत्र घोषित होने के बाद कम से कम 3 महीने तक वहाँ पर स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है.
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