________________________________ ➡️✳️मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला✳️⬅️ ________________________________ शाहजहाँ का काल सफ़ेद संगमरमर के प्रयोग का चरमोत्कर्ष काल माना जाता है। इस समय संगमरमर जोधपुर के ‘मकराना’ नामक स्थान से मिलता था, जो वृत्ताकार कटाई के लिए अधिक उपयुक्त था। नक़्क़ाशी युक्त या पर्णिल मेहराबें, बंगाली शैली के मुड़े हुए कंगूरे, जंगले के खम्भे आदि शाहजहाँ के काल की विशेषताएँ हैं। अकबर की इमारतों की तुलना में शाहजहाँ की इमारतें चमक-दमक एवं मौलिकता में घटिया हैं, परन्तु अतिव्ययपूर्ण प्रदर्शन एवं समृद्ध और कौशलपूर्ण सजावट में वे बढ़ी हुई हैं, जिससे शाहजहाँ काल की वास्तुकला एक अधिक बड़े पैमाने पर रत्नों के सजाने की कला बन जाती है। शाहजहाँ के समय निर्मित कुछ प्रमुख इमारतें निम्नलिखित हैं- ________________________________ ➖✳️➖✳️दूसरा पार्ट जल्द➖✳️➖✳️➖ ________________________________ ➡️ताजमहल, आगरा⬅️ ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ आगरा में यमुना नदी के तट पर स्थित मक़बरा ‘ताजमहल’का निर्माण शाहजहाँ की देख-रेख में 'उस्ताद ईसा ख़ाँ' ने सम्पन्न करवाया था, जबकि मक़बरे की योजना 'उस्ताद अहमद लाहौरी' ने तैयार की थी। शाहजहाँ ने लाहौरी को 'नादिर-उल-असर' की उपाधि प्रदान की थी। लाहौरी ने ताजमहल के निर्माण में सहायता के लिए बगदादतथा शिराज से हस्तकला विशेषज्ञ,कुस्तुनतुनिया से गुम्बद निर्माण कला विशेषज्ञ, बुखारा से फूल-पत्ते की खुदाई विशेषज्ञ, समरकंद से शिखर निर्माण एवं बाग़-बग़ीचा निर्माण में कुशल लोगों को बुलवाया था। इस मक़बरे में मध्य एशिया, ईरान एवं भारत की भवन निर्माण शैलियों का सामंजस्यपूर्ण संयोजन है। संभवतः यह मक़बरा दिल्ली में निर्मित हुमायूँ के मक़बरे एवं अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना के मक़बरे से प्रेरित है। इस इमारत की लम्बाई 1900 फुट एवं चौड़ाई 1000 फुट है। ताजमहल के मध्य में स्थित मक़बरा 22 फुट ऊँचे चबूतरे पर निर्मित है। मक़बरे की मुख्य इमारत 108 फुट ऊँची गुम्बद है। ताजमहल के अन्दर के भाग में पित्रादुरा शैली में सुन्दर सजावट का काम किया गया है। इस मक़बरे का निर्माण कार्य 1631 ई. में प्रारम्भ हुआ और 1653 ई. में पूरा हुआ। शाहजहाँ ने इस मक़बरे को अपनी प्रिय बेगम ‘मुमताज़ महल’ (अर्जूमन्द बानू बेगम) की याद में बनवाया था। कला इतिहासकार बेन बेगले की दृष्टि में यह मक़बरा सम्राट की पत्नी की यादगार न होकर ईश्वरीय सिंहासन और बहिश्त की प्रतिकृति है। हैवेल ने ताजमहल को ‘भारतीय नारीत्व की साकार प्रतिमा’ कहा है। इसे प्रेम का काव्य भी कहा जाता है। ________________________________ ➖✳️➖✳️दूसरा पार्ट जल्द➖✳️➖✳️➖ ________________________________ ➡️लाल किला, दिल्ली⬅️ ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ 1638 ई. में शाहजहाँ ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली लाने के लिए यमुना नदी के दाहिने तट पर ‘शाहजहाँनाबाद’ (वर्तमान पुरानी दिल्ली) नामक नगर की नींव रखी। शाहजहाँ ने इस नगर में चतुर्भुज आकार का ‘लाल क़िला’ नामक एक क़िले का निर्माण करवाया, जिसका निर्माण कार्य 1648 ई. में पूर्ण हुआ। लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह क़िला हमीद एवं अहमद नामक वास्तुकारों के निरीक्षण में बना। क़िले के पश्चिमी दरवाज़े का नाम ‘लाहौरी दरवाज़ा’ एवं दक्षिणी दरवाज़े का नाम ‘दिल्ली दरवाज़ा’ है। यह क़िला 3100 फीट लम्बा एवं 1650 फीट चैड़ा है। दिल्ली का लाल क़िला हमीद अहमद नामक शिल्पकार की देखरेख में बना तथा इस पर 1 करोड़ की लागत आयी थी। ________________________________ ➖✳️➖✳️दूसरा पार्ट जल्द➖✳️➖✳️➖ ________________________________ ➡️ख़ास महल, आगरा⬅️ ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ इसका निर्माण सफ़ेद संगमरमर से शाहजहाँ ने हरम की स्त्रियों के लिए करवाया था। इसके अतिरिक्त आगरा क़िले के अन्दर के कुछ अन्य निर्माण कार्य थे- 'शीश महल', 'नगीना मस्जिद', 'झरोखा दर्शन', 'अंगूरी बाग़', 'मच्छी भवन', 'नहर-ए-बहिश्त' (जिसके द्वारा क़िले में पानी की व्यवस्था की जाती थी)। ________________________________ ➖✳️➖✳️दूसरा पार्ट जल्द➖✳️➖✳️➖ ________________________________ ➡️जामा मस्जिद दिल्ली⬅️ ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने 1648 ई. में करवाया था। इसमें शाहजहाँनी शैली में फूलदार अलंकरण की मेहराबें बनी हैं। यह मस्जिद एक ऊँचे चबूतरें पर बनी है। मस्जिद में 3.25 फीट क्षेत्र में फैला एक आँगन है। जामा मस्जिद को बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रुपए लगे थे। जामा मस्जिद बहुआ पत्थर और सफ़ेद संगमरमर से निर्मित है। इस मस्जिद में उत्तर और दक्षिण द्वारों से प्रवेश किया जा सकता है। जामा मस्जिद का पूर्वी द्वार केवल शुक्रवार को ही खुलता है। इस द्वार के बारे में कहा जाता है कि सुल्तान इसी द्वार का प्रयोग करते थे। जामा मस्जिद का प्रार्थना गृह बहुत ही सुंदर है। इसमें ग्यारह मेहराब हैं जिसमें बीच वाला मेहराब अन्य से कुछ बड़ा है।दिल्ली के लाल क़िले के भीतर सफ़ेद संगमरमर की बनी अन्य इमारते थीं- 'मोती महल', 'हीरा महल', 'नहर-ए-बहिश्त', 'शीश महल'। शाहजहाँ द्वारा लाहौर के क़िले में कराये गये निर्माण कार्य थे- 'दीवान-ए-आम', 'शाहबुर्ज', 'शीश महल', 'नौलखा महल', 'ख्वाबगाह' आदि। शाहजहाँ के समय में बने शाहदारा में आसफ़ ख़ान के मक़बरे में ‘फ़ारसी शैली’ की पच्चीकारी की गयी। शाहजहाँ के समय में फ़ारसी शैली में बने प्रमुख उद्यान कश्मीर के निशान्त बाग़ एवं शालीमार बाग़, जो सीढ़ी के आकार में बनाये गये थे, प्रशंसनीय हैं। शाहजहाँ के शासन काल को स्थापत्य कला का ‘स्वर्ण काल’ कहा जाता है। ________________________________ Thank You & Keep Learning With Rishabh Roy ________________________________
Physical Geography of India (Himalayas, Northern Plains) India has vast diversity in physical features. This diversity of landmass is the result of the large landmass of India formed during different geological periods and also due to various geological and geomorphological process that took place in the crust. According to Plate Tectonic theory folding, faulting and volcanic activity are the major processes involved in the creation of physical features of Indian landscape. For example, the formation of the Himalayas in the north of the country attributed to the convergence of Gondwana land with the Eurasian plate. The Northern part of the country has a vast expanse of rugged topography consisting of a series of mountain ranges with varied peaks, beautiful valleys and deep gorges. The Southern part of the country consists of stable table land with highly dissected plateaus, denuded rocks and developed series of scarps. The Great Northern Plains lies between these two landscape...
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