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गांधी जी ..

गांधी जी
☑पूरा नाम:-मोहनदास करमचंद गाँधी ☑ अन्य नाम एवं उपाधियां:-बापू (जवाहरलाल नेहरू) ,महात्मा जी( रविनाथ टैगोर), राष्ट्रपिता( सुभाष चंद्र बोस),मलंग बाबा( कबाइलीयों द्वारा),वन मैन बाउंड्री फ़ोर्स( लॉर्ड माउंटबेटन)। ☑जन्म:-2 अक्तूबर, 1869 ☑जन्म भूमि:-पोरबंदर, गुजरात ☑मृत्यु:-30 जनवरी,1948 ☑मृत्यु स्थान:-नई दिल्ली ☑मृत्यु कारण:-हत्या ☑अभिभावक:-करमचंद गाँधी,पुतलीबाई ☑पति/पत्नी:-कस्तूरबा गाँधी ☑संतान:-हरिलाल,मनिलाल, रामदास,देवदास ☑स्मारक:-राजघाट (दिल्ली),बिरला हाउस (दिल्ली) आदि। ☑नागरिकता:भारतीय ☑पार्टी:-भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ☑शिक्षा:-बैरिस्टर ☑विद्यालय:-बंबई यूनिवर्सिटी,सामलदास कॉलेज ☑भाषा:-हिन्दी,अंग्रेज़ी,गुजराती ☑पुरस्कार-उपाधि:-राष्ट्रपिता ☑विशेष योगदान:-भारत की स्वतन्त्रता,अहिंसक आन्दोलन, सत्याग्रह। ☑आंदोलन:- ☑चंपारण (1917) ☑खेड़ा सत्याग्रह (1918) ☑अहमदाबाद मजदूर आंदोलन(1918) ☑खिलाफत आंदोलन (1919) ☑असहयोग आंदोलन (1920) ☑सविनय अवज्ञा आंदोलन(1930) ☑व्यक्तिगत सत्याग्रह 1940 ☑भारत छोड़ो आंदोलन 1942 ________________________________ ________________________________ विस्तृत परिचय ________________________________ ________________________________ दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी शख्सियत  की जिसे तरह-तरह के नामों की संज्ञा दी जाती है,  किसी ने उन्हें नंगा फकीर कहा, तो किसी ने हाड़- मांस का पुतला,क्या वास्तव में एक नंगे फकीर और एक हाड़ मांस के पुतले में इतनी शक्ति होती है,कि वह संसार के किसी भी देश को हिलाने की क्षमता रखता हो, हम बात कर रहे हैं अपने परम पूज्य बापू जी के बारे में ,उनमें इतनी क्षमता कहां से आई आज हम इसी विषय पर बात करेंगे। ________________________________ ________________________________ ☑बापू एवं राष्ट्रपिता की उपाधि से विभूषित महात्मा गांधी अपने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के साधनों से भारतीय राजनीति मंच पर 1919 से 1942 ईस्वी तक अपने विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से छाए रहे। गांधीजी के इस कार्यकाल को भारतीय इतिहास में ‘गांधी युग’की संज्ञा दी जाती है।यह युग विशाल-जन आंदोलन का युग रहा। इस काल में भारतीय जनता ने संभवतः विश्व इतिहास के सबसे बड़े जन संघर्ष लड़े और अंततः भारत की राष्ट्रीय क्रांति ने विजय पाई। ☑गांधी जी भारत के उन कुछ चमकते हुए सितारों में से एक थे जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और राष्ट्रीयता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्हीं के द्वारा लड़े गए कुछ आंदोलनों पर आज हम बात करेंगे जो निम्नलिखित:- ☑चंपारण 1917 ☑खेड़ा सत्याग्रह 1918 ☑अहमदाबाद मजदूर आंदोलन 1918 ☑खिलाफत आंदोलन 1919 ☑असहयोग आंदोलन 1920 ☑सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 ☑व्यक्तिगत सत्याग्रह 1940 ☑भारत छोड़ो आंदोलन 1942 ________________________________ ________________________________ ☑गांधीजी को सर्वप्रथम सत्याग्रह की प्रेरणा हेनरी डेविड थोरो के निबंध ‘सिविल डिसओबेडिएंस’से मिली और इस का प्रथम प्रयोग उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में प्रत्येक भारतीय को पंजीकरण करवाने वाले कानून के विरोध में किया था। ☑जब गांधी भारत आए तो यहां के स्वाधीनता आंदोलन में उसी सत्याग्रह के साधन के 3 रूपों का प्रयोग उन्होंने किया जिसे असहयोग आंदोलन,  सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा व्यक्तिगत सत्याग्रह की संज्ञा दी जाती है। ________________________________ ________________________________ चलिए आप जानते हैं उन्होंने अपना पहला सत्याग्रह कब और कहां आरंभ किया:- ☑चंपारण( तिनकठिया पद्धति की समाप्ति):- गांधीजी ने भारत में सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1917 ईस्वी में में बिहार के चंपारण जिले के नील की खेती करने वाले किसानों के हित संवर्धन हेतु किया था,पंडित रामचंद्र शुक्ल ने 1916 के लखनऊ अधिवेशन में गांधी जी से चंपारण आने का आग्रह किया था, जिसके फलस्वरुप गांधीजी अपने सहयोगियों  ब्रजकिशोर , सी एफ एंड्रयूज,डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह,राज किशोर प्रसाद,एच.एस.  पोलाक, राजेंद्र प्रसाद , महादेव देसाई, नरहरि पारेख , जेबी कृपलानी आदि के साथ चंपारण गए। ☑आंदोलन का कारण:- अंग्रेज बागान मालिकों द्वारा चंपारण के किसानों को अपनी जमीन के 3/20 हिस्से में नील की खेती करना अनिवार्य कर दिया था। जैसा की ज्ञात है 19वीं सदी में रासायनिक रंगों ने नील ने नील ने नील को बाजार से बाहर कर दिया।अतः यूरोपियों को नील की खेती बंद करनी पड़ी।किसान भी यही चाहते थे।मालिकों ने किसानों को अनुबंध से मुक्त करने के लिए लगान एवं अन्य गैर कानूनी कानूनी टैक्स जैसे शरहवेसी (बढ़ा हुआ लगान) तथा तावान (एकमुश्त मुआवजा) की दर को मनमाने ढंग से बढ़ा दिया, जिससे किसानों का आर्थिक और व्यक्तिगत शोषण बढ़ गया। इसी शोषण को समाप्त करने के लिए गांधी जी ने चंपारण का दौरा किया। सरकार ने एक जांच आयोग गठित किया जिसमें गांधी जी को भी जी को भी शामिल किया गया।आयोग के सुझाव पर तिनकठिया पद्धति को समाप्त कर दिया गया तथा बागान मालिक अवैध वसूली का 25 फ़ीसदी वापस करने पर राजी हो। ________________________________ ________________________________ ☑अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918:-15 मार्च 1918 को अहमदाबाद मिल मजदूरों की मांग के समर्थन में गांधी जी ने भूख हड़ताल(प्रथम उपवास)  को एक साधन के रुप में सत्याग्रह के अंतर्गत अपनाया। ☑खेड़ा सत्याग्रह(1918):- गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों का अंग्रेज सरकार की कर-वसूली के विरुद्ध एक सत्याग्रह (आन्दोलन) था।यह महात्मा गांधी की प्रेरणा से वल्लभ भाई पटेल एवं अन्य नेताओं की अगुवाई में हुआ था।इस सत्याग्रह के फलस्वरूप गुजरात के जनजीवन में एक नया तेज और उत्साह उत्पन्न हुआ और आत्मविश्वास जागा। यह सत्याग्रह यद्यपि साधारण सा था तथापि भारतीय चेतना के इतिहास में इसका महत्व चंपारन के सत्याग्रह से कम नहीं है। ________________________________ ________________________________ ☑खिलाफत आंदोलन(1919-1924):-खिलाफत आंदोलन भारत में मुख्यत: मुसलमानों द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आंदोलन था।इस आंदोलन का उद्देश्य तुर्की में खलीफा के पद की पुन:स्थापना कराने के लिये अंग्रेजों पर दबाव बनाना था। ________________________________ ________________________________ ☑असहयोग आंदोलन(1920-1922ई.) :- इस आंदोलन का प्रारंभ 1 अगस्त 1920 को  किया गया। इस आंदोलन का पूरे देश में व्यापक असर हुआ और पूरे जन समुदाय ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। प्रसिद्ध वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी और अनेकों शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गई, जिनमें बड़ी संख्या में छात्रों ने सरकारी शिक्षण संस्थानों को छोड़कर स्वदेशी विद्यालयों में प्रवेश लिया।अनेक लोगों ने सरकारी उपाधियां लौटा दी।बड़े पैमाने पर विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया। ☑असहयोग आंदोलन का उद्देश्य:-खिलाफत के प्रश्नों का सम्मानजनक समाधान करना। ☑जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरुद्ध न्याय की मांग। ☑स्वराज की प्राप्ति ☑असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव:- 4 सितंबर 1920 को कांग्रेस के विशेष कोलकाता अधिवेशन में किया गया था। ________________________________ ________________________________ ☑संविनय अवज्ञा आंदोलन(1930-34):-इस आंदोलन के बारे में बात की जाए तो यह उन आंदोलन में से एक था, जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ चलाया गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा इस आंदोलन को चलाया गया था।1929 ई. तक भारतीयों को अंग्रेजों  के इरादों का पता चुका था,जिसके बाद भारतीयों को यह शक था,कि वह औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की अपनी घोषणा पर अमल करेगा या नहीं करेगा।इसको लेकर घोषणा कर दी गई थी कि लाहौर अधिवेशन में उसका लक्ष्य भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना था।इस आंदोलन के तहत नमक कानून का उल्लंघन कर खुद ही नमक बनाया गया। ________________________________ ________________________________ ☑दांडी मार्च(1930):-दांडी मार्च से अभिप्राय उस पैदल यात्रा से है,जो महात्मा गांधी और उनके स्वयं सेवकों द्वारा 12 मार्च,1930 ई. को प्रारम्भ की गई थी। ☑इसका मुख्य उद्देश्य था:-अंग्रेजों द्वारा बनाये गए ‘नमक कानून को तोड़ना था।गांधी जी ने अपने 78 स्वयं सेवकों, जिनमें वेब मिलर भी एक था, के साथ साबरमती आश्रम से 385 कि.मी. दूर स्थित दांडी के लिए प्रस्थान किया।लगभग 24 दिन बाद 6 अप्रैल, 1930 ई. को दांडी पहुंचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक कानून को तोड़ा।महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा के दौरान सूरत, डिंडौरी, वांज,धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया।यहां से कराडी और दांडी की यात्रा पूरी की। ________________________________ ________________________________ ☑भारत छोड़ो आंदोलन(1942):-भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त,1942 ई. को संपूर्ण भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर प्रारम्भ हुआ था।भारत की आजादी से सम्बन्धित इतिहास में दो पड़ाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नजर आते हैं- प्रथम ‘1857 ई. का स्वतंत्रता संग्राम’ और द्वितीय ‘1942 ई. का भारत छोड़ो आन्दोलन।’भारत को जल्द ही आज़ादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेज शासन के विरुद्ध यह एक बड़ा ‘नागरिक अवज्ञा आन्दोलन’ था।‘क्रिप्स मिशन’ की असफलता के बाद गांधी जी ने एक और बड़ा आन्दोलन प्रारम्भ करने का निश्चय ले लिया।इस आंदोलन को ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ का नाम दिया गया। और इसी आंदोलन के फलस्वरुप भारत को स्वतंत्रता मिली। ________________________________ अगला विषय इकोनॉमिक्स ________________________________ Thank You & Keep 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