*🍃❄️मानसून क्या है?*
यह अरबी शब्द मौसिम से निकला हुआ शब्द है, जिसका अर्थ होता है हवाओं का मिज़ाज। शीत ऋतु में हवाएँ उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बहती हैं जिसे शीत ऋतु का मानसून कहा जाता है।
उधर, ग्रीष्म ऋतु में हवाएँ इसके विपरीत दिशा में बहती हैं, जिसे दक्षिण-पश्चिम मानसून या गर्मी का मानसून कहा जाता है। चूँकि पूर्व के समय में इन हवाओं से व्यापारियों को नौकायन में सहायता मिलती थी, इसीलिये इन्हें व्यापारिक हवाएँ या ‘ट्रेड विंड’ भी कहा जाता है।
*🌨❄️मानसून की शुरुआत कैसे होती है?*
ग्रीष्म ऋतु में जब हिन्द महासागर में सूर्य विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होता है, तो मानसून का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया में समुद्र की सतह गरम होने लगती है और उसका तापमान 30 डिग्री तक पहुँच जाता है। जबकि इस दौरान धरती का तापमान 45-46 डिग्री तक पहुँच चुका होता है।
ऐसी स्थिति में हिन्द महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएँ सक्रिय हो जाती हैं। ये हवाएँ एक-दूसरे को आपस में काटते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती है। इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
विषुवत रेखा पार करके ये हवाएँ और बादल बारिश करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का रुख करते हैं। इस दौरान देश के तमाम हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से अधिक हो जाता है।
ऐसी स्थिति में हवाएँ समुद्र से ज़मीन की ओर बहनी शुरू हो जाती हैं। ये हवाएँ समुद्र के जल के वाष्पन से उत्पन्न जल वाष्प को सोख लेती हैं और पृथ्वी पर आते ही ऊपर की ओर उठने लगती है और वर्षा करती हुई आगे बढ़ती हैं।
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुँचने के बाद ये मानसूनी हवाएँ दो शाखाओं में विभाजित हो जाती हैं। एक शाखा अरब सागर की तरफ से मुंबई, गुजरात एवं राजस्थान होते हुए आगे बढ़ती है तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर होते हुए हिमालय से टकराकर गंगीय क्षेत्रों की ओर मुड़ जाती है और इस प्रकार जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में झमाझम पानी बरसने लगता है।
*❄️💫मानसून का पूर्वानुमान कैसे लगाया जाता है?*
मानसून एक ऐसी अबूझ पहेली है जिसका अनुमान लगाना बेहद जटिल है। कारण यह है कि भारत में विभिन्न किस्म के जलवायु जोन और उप-जोन हैं। हमारे देश में 127 कृषि जलवायु उप-संभाग हैं और 36 संभाग हैं।
मानसून विभाग द्वारा अप्रैल के मध्य में मानसून को लेकर दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी किया जाता है। इसके बाद फिर मध्यम अवधि और लघु अवधि के पूर्वानुमान जारी किये जाते हैं।
पिछले कुछ समय से ‘नाऊ कास्ट’ के माध्यम से मौसम विभाग ने अब कुछ घंटे पहले के मौसम की भविष्यवाणी करना आरंभ कर दिया है।
अभी मध्यम अवधि की भविष्यवाणियाँ जो 15 दिन से एक महीने की होती हैं, 70-80 फीसदी तक सटीक निकलती हैं। हालाँकि, लघु अवधि की भविष्यवाणियाँ जो आगामी 24 घंटों के लिये होती हैं करीब 90 फीसदी तक सही होती हैं।
*✴️❄️भारतीय मौसम विज्ञान विभाग*
(India Meteorological Department - IMD
IMD भारत सरकार के "पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय" (Ministry of Earth Sciences) के अधीन कार्यरत एक विभाग है।
IMD एक प्रमुख एजेंसी है जो मौसम संबंधी अवलोकन एवं मौसम की भविष्यवाणी के साथ-साथ भूकम्प विज्ञान के लिये भी उत्तरदायी है।
*✴️इस विषय में अधिक जानकारी के लिये पढ़ें :*
⇒ भारतीय कृषि की सफलता के लिये भारत को मौसम के पूर्वानुमान से संबंधित कौशल की भी आवश्यकता है। टिप्पणी करें।
⇒ प्रोजेक्ट मौसम
⇒ मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिये मिशन मानसून
⇒ एरोसोल से प्रभावित होता मानसून
⇒ मौसम की भविष्यवाणी : संख्याओं का खेल
स्रोत : द हिंदू
यह अरबी शब्द मौसिम से निकला हुआ शब्द है, जिसका अर्थ होता है हवाओं का मिज़ाज। शीत ऋतु में हवाएँ उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बहती हैं जिसे शीत ऋतु का मानसून कहा जाता है।
उधर, ग्रीष्म ऋतु में हवाएँ इसके विपरीत दिशा में बहती हैं, जिसे दक्षिण-पश्चिम मानसून या गर्मी का मानसून कहा जाता है। चूँकि पूर्व के समय में इन हवाओं से व्यापारियों को नौकायन में सहायता मिलती थी, इसीलिये इन्हें व्यापारिक हवाएँ या ‘ट्रेड विंड’ भी कहा जाता है।
*🌨❄️मानसून की शुरुआत कैसे होती है?*
ग्रीष्म ऋतु में जब हिन्द महासागर में सूर्य विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होता है, तो मानसून का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया में समुद्र की सतह गरम होने लगती है और उसका तापमान 30 डिग्री तक पहुँच जाता है। जबकि इस दौरान धरती का तापमान 45-46 डिग्री तक पहुँच चुका होता है।
ऐसी स्थिति में हिन्द महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएँ सक्रिय हो जाती हैं। ये हवाएँ एक-दूसरे को आपस में काटते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती है। इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
विषुवत रेखा पार करके ये हवाएँ और बादल बारिश करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का रुख करते हैं। इस दौरान देश के तमाम हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से अधिक हो जाता है।
ऐसी स्थिति में हवाएँ समुद्र से ज़मीन की ओर बहनी शुरू हो जाती हैं। ये हवाएँ समुद्र के जल के वाष्पन से उत्पन्न जल वाष्प को सोख लेती हैं और पृथ्वी पर आते ही ऊपर की ओर उठने लगती है और वर्षा करती हुई आगे बढ़ती हैं।
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुँचने के बाद ये मानसूनी हवाएँ दो शाखाओं में विभाजित हो जाती हैं। एक शाखा अरब सागर की तरफ से मुंबई, गुजरात एवं राजस्थान होते हुए आगे बढ़ती है तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर होते हुए हिमालय से टकराकर गंगीय क्षेत्रों की ओर मुड़ जाती है और इस प्रकार जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में झमाझम पानी बरसने लगता है।
*❄️💫मानसून का पूर्वानुमान कैसे लगाया जाता है?*
मानसून एक ऐसी अबूझ पहेली है जिसका अनुमान लगाना बेहद जटिल है। कारण यह है कि भारत में विभिन्न किस्म के जलवायु जोन और उप-जोन हैं। हमारे देश में 127 कृषि जलवायु उप-संभाग हैं और 36 संभाग हैं।
मानसून विभाग द्वारा अप्रैल के मध्य में मानसून को लेकर दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी किया जाता है। इसके बाद फिर मध्यम अवधि और लघु अवधि के पूर्वानुमान जारी किये जाते हैं।
पिछले कुछ समय से ‘नाऊ कास्ट’ के माध्यम से मौसम विभाग ने अब कुछ घंटे पहले के मौसम की भविष्यवाणी करना आरंभ कर दिया है।
अभी मध्यम अवधि की भविष्यवाणियाँ जो 15 दिन से एक महीने की होती हैं, 70-80 फीसदी तक सटीक निकलती हैं। हालाँकि, लघु अवधि की भविष्यवाणियाँ जो आगामी 24 घंटों के लिये होती हैं करीब 90 फीसदी तक सही होती हैं।
*✴️❄️भारतीय मौसम विज्ञान विभाग*
(India Meteorological Department - IMD
IMD भारत सरकार के "पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय" (Ministry of Earth Sciences) के अधीन कार्यरत एक विभाग है।
IMD एक प्रमुख एजेंसी है जो मौसम संबंधी अवलोकन एवं मौसम की भविष्यवाणी के साथ-साथ भूकम्प विज्ञान के लिये भी उत्तरदायी है।
*✴️इस विषय में अधिक जानकारी के लिये पढ़ें :*
⇒ भारतीय कृषि की सफलता के लिये भारत को मौसम के पूर्वानुमान से संबंधित कौशल की भी आवश्यकता है। टिप्पणी करें।
⇒ प्रोजेक्ट मौसम
⇒ मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिये मिशन मानसून
⇒ एरोसोल से प्रभावित होता मानसून
⇒ मौसम की भविष्यवाणी : संख्याओं का खेल
स्रोत : द हिंदू
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