◼️इसका समय 1000 ई.पू. से 600 ई.पू. तक का माना जाता है। ◼️इसमें क्षेत्रगत राज्यों का उदय होने लगा(कबीले आपस में मिलकर राज्यों का निर्माण करने लगे)। ◼️तकनीकि दृष्टि से लौह युग की शुरूआत हुई। सर्वप्रथम लोहे को 800 ई.पू. के आसपास गंगा, यमुना दोआब में अतरंजी खेडा में प्राप्त किया गया। ◼️उत्तरवैदिक काल के वेद अथर्ववेद में लोहे के लिए श्याम अयस एवं कृष्ण अयस शब्द का प्रयोग किया गया। ◼️इस काल में वर्णव्यवस्था का उदय हुआ। ________________________________ ________________________________ उत्तर वैदिक राजनीतिक व्यवस्था ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ ◼️कबिलाई ढांचा टूट गया एवं पहली बार क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ। ◼️जन का स्थान जनपद ने ले लिया। ◼️युद्ध गायों के लिए न होकर क्षेत्र के लिए होने लगा। ◼️सभा एवं समितियों पर राजाओं, पुरोहितों एवं धनी लोगों का अधिकार हो गया। ◼️विदथ को समाप्त कर दिया गया। ◼️स्त्रियों को सभा की सदस्याता से बहिष्कृत कर दिया गया। ◼️राजा अत्यधिक ताकतवर हो गया एवं राष्ट्र शब्द की उत्पत्ति हुई। ◼️बलि के अतिरिक्त ‘भाग तथा शुल्क’ दो नए कर लगाये गए। ◼️राजा की सहायता करने वाले उच्च अधिकारी रत्निन कहलाते थे। ◼️राजा कोई स्थायी सेना नहीं रखता था। ________________________________ ________________________________ उत्तरवैदिक सामाजिक व्यवस्था ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ ◼️वर्ण व्यवस्था का आधार कर्म पर आधारित न होकर जन्म पर हो गया। ◼️इस समय लोग स्थायी जीवन जीने लगे। ◼️चारों वर्ण - पुरोहित,क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र स्पष्टतः स्थापित हो गए। ◼️यज्ञ का महत्व बढ़ा और ब्राह्मणें की शक्ति में अपार वृद्धि हुई। ◼️ऐतरेय ब्राह्मण में चारों वर्णो के कार्यो का उल्लेख मिलता है। ◼️इस काल में तीन आश्रम 1️⃣ब्रह्मचर्य, 2️⃣गृहस्थ एवं 3️⃣वानप्रस्थ की स्थापना हुई। नोट - चौथा आश्रम ‘संन्यास’ महाजनपद काल में जोडा गया था। ◼️जावालोपनिषद में सर्वप्रथम चारों आश्रमों का उल्लेख मिलता है। ◼️स्त्रियों को शिक्षा प्राप्ति का अधिकार प्राप्त था। ◼️बाल विवाह नहीं होता था। ◼️विधवा विवाह,नियोग प्रथा के साथ अन्तःजातीय विवाह का प्रचलन था। ◼️स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आयी। ________________________________ ________________________________ उत्तरवैदिक आर्थिक स्थिति ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ ◼️इस काल में मुख्य व्यवसाय कृषि बन गया(कारण: लोहे की खोज एवं स्थायी जीवन) ◼️मुख्य फसल धान एवं गेहूं थी। ◼️यजुर्वेद में ब्रीहि(धान), भव(जौ), गोधूम(गेहूं) की चर्चा मिलती है। ◼️उत्तरवैदिक काल में कपास का उल्लेख नहीं हुआ। ◼️ऊन शब्द का प्रयोग हुआ है। ◼️उत्तरवैदिक सभ्यता भी ग्रामीण ही थी। इसके अंत में हम नगरों का आभास पाते हैं। हस्तिनापुर एवं कौशाम्बी प्रारंभिक नगर थे। ◼️नियमित सिक्के का प्रारंभ अभी नहीं हुआ था। ◼️सामान्य लेन-देन वस्तु विनिमय द्वारा होता था। ◼️निष्क, शतमान, पाद एवं कृष्णल माप की इकाइयां थी। ◼️सर्वप्रथम अथर्ववेद में चांदी का उल्लेख हुआ है। ◼️लाल मृदभांड इस काल में सर्वाधिक प्रचलित थे। ________________________________ ________________________________ उत्तरवैदिक धार्मिक स्थिति ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ ◼️धर्म का स्वरूप बहुदेववादी तथा उद्देश्य भौतिक सुखों की प्राप्ति था। ◼️प्रजापति, विष्णु तथा रूद्र महत्वपूर्ण देवता के रूप में स्थापित हो गए। ◼️सृजन के देवता प्रजापति का सर्वोच्च स्थान था। ◼️पूषण सूडों के देवता थे। ◼️यज्ञ का महत्व बढ़ा एवं जटिल कर्मकाण्डों का समावेश हुआ। ◼️मृत्यु की चर्चा सर्वप्रथम शतपथ ब्राह्मण में मिलती है। ◼️सर्वप्रथम मोक्ष की चर्चा उपनिषद में मिलती है। ◼️पुनर्जन्म की अवधारणा सर्वप्रथम वृहदारण्यक उपनिषद में मिलती है। ________________________________ ________________________________ आश्रम व्यवस्था ➖✳️➖✳️➖✳️ ◼️आश्रम व्यवस्था की स्थापना उत्तरवैदिक काल में हुई। ◼️छांदोग्य उपनिषद में केवल तीन आश्रमों का उल्लेख है। ◼️सर्वप्रथम जाबालोपनिषद में 4 आश्रम बताए गए हैं। नोट - उत्तरवैदिक काल में केवल 3 आश्रमों(ब्रह्मचर्य, गृहस्थ व वानप्रस्थ(संन्यास) महाजनपद काल में स्थापित किया गया। आश्रम_______आयु___कार्य/पुरूषार्थ 1️⃣ब्रह्मचर्य आश्रम0-25 वर्षज्ञान प्राप्तिधर्म 2️⃣गृहस्थ आश्रम26-50 वर्षसांसारिक जीवनअर्थ व काम 3️⃣वानप्रस्थ आश्रम51-75 वर्षमनन/चिंतन/ध्यानमोक्ष 4️⃣सन्यास आश्रम76-100 वर्षमोक्ष हेतु तपस्यामोक्ष नोट - गृहस्थ आश्रम को सभी आश्रमों में श्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि इस आश्रम में मनुष्य त्रिवर्ग(पुरूषार्थो) - धर्म,अर्थ एवं काम का एक साथ उपयोग करता है। ◼️इसी आश्रम में त्रि-ऋण से निवृत होता है। 1️⃣ऋषि ऋण - ग्रंथों का अध्ययन 2️⃣पितृ ऋण - पुत्र प्राप्ति 3️⃣देव ऋण - यज्ञ करना नोट - शूद्र मात्र गृहस्थ आश्रम को ही अपना सकते थे अन्य आश्रमों को नहीं। ________________________________ ________________________________ वर्ण व्यवस्था ➖✳️➖✳️➖✳️ ◼️ऋग्वेद के 10 वें मण्डल में 4 वर्णो का उल्लेख है। ◼️ऋग्वैदिक काल में वर्णो का आधार कर्म था परन्तु उत्तरवैदिक काल में आधार जन्मजात बना दिया गया। पुरोहित: उत्पत्ति - ब्रह्मा के मुख से, कार्य - धार्मिक अनुष्ठान क्षत्रिय: उत्पत्ति - ब्रह्मा की भुजा से, कार्य - शासक वर्ग/धर्म की रक्षा वैश्य: उत्पत्ति - ब्रह्मा की जघाओं से, कार्य - कृषि/व्यापार/वाणिज्य शूद्र: उत्पत्ति - ब्रह्मा के पैर से, कार्य - सेवा कार्य(अन्य वर्ण के लोगों की सेवा) ♦️नोट - उत्तरवैदिक काल में शुद्रों को गैर आर्य माना जाता था। ◼️कर की अदायगी केवल वैश्य किया करते थे। ________________________________ ________________________________ विवाहों के प्रकार ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ ब्रह्म विवाह - समान वर्ण में विवाह(कन्या का मूल्य देकर) दैव विवाह - पुरोहित के साथ विवाह(दक्षिणा सहित) आर्य विवाह - कन्या के पिता को वर एक जोड़ी बैल प्रदान करता था। प्रजापत्य विवाह - बिना लेन-देन, योग्य वर के साथ विवाह असुर विवाह - कन्या को उसके माता-पिता से खरीद कर विवाह गंधर्व विवाह - प्रेम विवाह राक्षस विवाह - पराजित राजा की पुत्री, बहन या पत्नि से उसकी इच्छा के विरूद्ध पैशाच विवाह - सोती हुई स्त्री, नशे की हालत में अथवा विश्वासघात द्वारा विवाह ♦️नोट - ब्रह्म विवाह, दैव विवाह, आर्य विवाह व प्रजापत्य विवाह ब्राह्मणों के लिए मान्य थे। ◼️असुर विवाह केवल वैश्य और शूद्रों में होता था। ◼️गन्धर्व विवाह केवल क्षत्रियों में होता था। ➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️➖✳️ ________________________________ Thank You & Keep Learning With Rishabh ________________________________
Physical Geography of India (Himalayas, Northern Plains) India has vast diversity in physical features. This diversity of landmass is the result of the large landmass of India formed during different geological periods and also due to various geological and geomorphological process that took place in the crust. According to Plate Tectonic theory folding, faulting and volcanic activity are the major processes involved in the creation of physical features of Indian landscape. For example, the formation of the Himalayas in the north of the country attributed to the convergence of Gondwana land with the Eurasian plate. The Northern part of the country has a vast expanse of rugged topography consisting of a series of mountain ranges with varied peaks, beautiful valleys and deep gorges. The Southern part of the country consists of stable table land with highly dissected plateaus, denuded rocks and developed series of scarps. The Great Northern Plains lies between these two landscape...
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