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Showing posts from June, 2018

सिंधु घाटी सभ्यता .....

🌟 सिंधु घाटी सभ्यता वैसे तो प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है, जैसा कि हम जानते हैं मानव समुदायों ने हमारे देश में प्राचीन संस्कृतियों का विकास, कब, कहां और कैसे किया। आधुनिक कृषि की शुरुआत कैसे की, और उसके बाद धीरे-धीरे  अपने  जीवन को सुरक्षित और स्थायी कैसे बनाया ।कैसे कई प्राकृतिक संपदाओं की खोज की और उनका उपयोग किया।अपनी जीविका के साधनों की सृष्टि की। इस अध्याय में  सिंधु घाटी सभ्यता के प्रारंभ से पतन तक के परीक्षा उपयोगी तथ्य मैंने सम्मिलित किया है, आशा करता हूं आप लोगों को पसंद आयेगा।🌟 ______________________ ❎इस सभ्यता के प्रथम अवशेष हड़प्पा नामक नगर स्थल से प्राप्त हुए थे। ❎कार्बन डेटिंग पद्धति सी14(C14)द्वारा हड़प्पा सभ्यता की तिथि 2500 ईसा. पूर्व. से 1750 ईसा.  पूर्व. माना गया है। ❎सर्वप्रथम चार्ल्स मेसोन ने 1872 में हड़प्पा नामक स्थल पर किसी प्राचीन सभ्यता के दबे होने की बात लिखी थी। ❎हड़प्पा सभ्यता को भारतीय उपमहाद्वीप की प्रथम क्रांति माना जाता है। ❎भारतीय पुरातत्व विभाग के जन्मदाता अलेक्जेंडर कनिंघम को मानते हैं। ❎भारतीय पुरातत्व विभाग की स्

अध्याय-1 भारत का भौगोलिक परिचय

अध्याय-1 भारत का भौगोलिक परिचय _________________________________ दोस्तों ,हमारा भारत निसंदेह एक महान देश है। और इस की सभ्यता और संस्कृति उतनी ही पुरानी है, जितना स्वयं मानव।इसकी विशालता ने इसे उपमहाद्वीप की संज्ञा दी है। यह एशिया महाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित है,पर एक महाद्वीप का अस्तित्व रखता है।यह विश्व का अकेला ऐसा देश है,जिसका नाम हिंद महासागर से जुड़ा है। इस का प्राचीन नाम ‘आर्यावर्त', उत्तर भारत में बसने वाले आर्यों के नाम पर किया गया है। इन आर्यों के शक्तिशाली राजा भरत के नाम पर ही इसका नाम भारत कहलाया। वैदिक आर्यों का निवास स्थान सिंधु घाटी में था, जिसे ईरानियों ने ‘हिंदू नदी’ तथा इस देश को ‘हिंदुस्तान’ कहा। यूनानियों ने सिंधु को ‘इण्डोस’ तथा इस देश को इंडिया कहा।😁 ________________________________ नोट▶वायु पुराण में भारतवर्ष शब्द का उल्लेख मिलता है। ▶जैन पौराणिक कथाओं के अनुसार हिंदू और बौद्ध ग्रंथों में भारत हेतु जम्बूद्वीप शब्द का प्रयोग किया गया है। ▶चीनी भारत का उच्चारण यिन-तू शब्द से करते थे। ▶मध्यकालीन मुस्लिम  आक्रमणकारियों ने  भारत को हिंदुस्तान के नाम से  उल्ल

गांधी जी ..

गांधी जी ☑पूरा नाम:-मोहनदास करमचंद गाँधी ☑ अन्य नाम एवं उपाधियां:-बापू (जवाहरलाल नेहरू) ,महात्मा जी( रविनाथ टैगोर), राष्ट्रपिता( सुभाष चंद्र बोस),मलंग बाबा( कबाइलीयों द्वारा),वन मैन बाउंड्री फ़ोर्स( लॉर्ड माउंटबेटन)। ☑जन्म:-2 अक्तूबर, 1869 ☑जन्म भूमि:-पोरबंदर, गुजरात ☑मृत्यु:-30 जनवरी,1948 ☑मृत्यु स्थान:-नई दिल्ली ☑मृत्यु कारण:-हत्या ☑अभिभावक:-करमचंद गाँधी,पुतलीबाई ☑पति/पत्नी:-कस्तूरबा गाँधी ☑संतान:-हरिलाल,मनिलाल, रामदास,देवदास ☑स्मारक:-राजघाट (दिल्ली),बिरला हाउस (दिल्ली) आदि। ☑नागरिकता:भारतीय ☑पार्टी:-भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ☑शिक्षा:-बैरिस्टर ☑विद्यालय:-बंबई यूनिवर्सिटी,सामलदास कॉलेज ☑भाषा:-हिन्दी,अंग्रेज़ी,गुजराती ☑पुरस्कार-उपाधि:-राष्ट्रपिता ☑विशेष योगदान:-भारत की स्वतन्त्रता,अहिंसक आन्दोलन, सत्याग्रह। ☑आंदोलन:- ☑चंपारण (1917) ☑खेड़ा सत्याग्रह (1918) ☑अहमदाबाद मजदूर आंदोलन(1918) ☑खिलाफत आंदोलन (1919) ☑असहयोग आंदोलन (1920) ☑सविनय अवज्ञा आंदोलन(1930) ☑व्यक्तिगत सत्याग्रह 1940 ☑भारत छोड़ो आंदोलन 1942 ________________________________ ________________________________ विस्तृत पर

अकबर द्वारा निर्मित प्रमुख इमारत

________________________________ ❎❎अकबर द्वारा निर्मित प्रमुख इमारत❎❎ ________________________________ दोस्तों मुग़लकालीन वास्तुकला में फ़ारस, तुर्की, मध्य एशिया, गुजरात, बंगाल,जौनपुर आदि स्थानों की शैलियों का अनोखा मिश्रण हैं। ➡️स्थापत्य विशेषता-मुग़ल काल में वास्तुकला के क्षेत्र में पहली बार ‘आकार’ एवं डिजाइन की विविधता का प्रयोग तथा निर्माण की साम्रगी के रूप में पत्थर के अलावा पलस्तर एवं गचकारी का प्रयोग किया गया। सजावट के क्षेत्र में संगमरमर पर जवाहरात से की गयी जड़ावट का प्रयोग भी इस काल की एक विशेषता थी। सजावट के लिए पत्थरों को काट कर फूल पत्ते, बेलबूटे को सफ़ेद संगमरमर में जड़ा जाता था। इस काल में बनने वाले गुम्बदों एवं बुर्जों को ‘कलश’ से सजाया जाता था। ➡️स्थापत्य काल-1525 ई. –1857 ई. लगभग ➡️प्रमुख शासक-बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ ➡️प्रमुख इमारत-ताजमहल, हुमायूँ का मक़बरा, सिकंदरा, बुलंद दरवाज़ा,बीबी का मक़बरा,लाल क़िला, पंचमहल, जहाँगीरी महल, एतमादुद्दौला का मक़बरा, जामा मस्जिद दिल्ली आदि ➡️अन्य जानकारी-पर्सी ब्राउन ने ‘मुग़ल काल’ को भारतीय वास्तुकला का ग्रीष्म काल मान